Thursday, September 22, 2011

बेटी के प्रति

मैंने बर्फीली आँधियों
दरकती चट्टानी परतों पर गीत लिखे।
गीत,
गीत जीवन के
सुरीले राग के
संघर्ष के, अवसाद के
स्वप्न के, यथार्थ के
वंचना , अधिकार के
जीत के हार के
तुम भर सको
सुर लहर से
शक्ति से, सम्मान से
विश्ववास से, स्वाभिमान से
थम सके ये आँधियाँ
गीत के उस राग पर
नृत्य करती
सूक्ष्म सी संवेदना
दूर करती सदियों ,युगों की वेदना
वहाँ ऊँचे शिखर पर
एक नन्हीं किरण
करती है इशारा
ग़र मुझे तुम
छू सको
कल है तुम्हारा

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