Friday, November 4, 2011

उन दिनों में

उन दिनों में
पुरानी गलिया हैं
तंग दरवाजे
आकाश की झिर्रियों से झलकती हैं यादें
एक खिड्की है अभिलाषा सी
चंद अफवाहें
दोपहर की चटख धूप
पुरानी किताब में लिखी हुई कविता
और तुम्हारा नाम
गुनगुनी सी हो उठी है
जाडों की यह शाम

4 comments:

  1. आकाश की झिर्रियों से झलकती हैं यादें...

    वाह... क्या खूब !!
    कविता बहुत अच्छी लगी..

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  2. बहुत ही सुन्दर कविता है ॥ सचमुच ॥

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  3. कभी कभी सचमच अच्छा लिख लेती हैं आप.

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