मैने कल उगते सूरज को देख एक चित्र बुना था
आसमान गहरा नीला था
पेडों पर पत्ते काँप रहे थे
क्या सुबह को भी याद हैं वे दिन
जब सपने उतरे थे
हमने ढेर सारी बचकानी बातें कीं थीं
और खूब हंसे थे
उजली धरती की वह शामें
आकाश का वह आँगन
वक्त का वह एक एक लम्हा
गर्मी की वह दुपहर
दोस्ती के पल
क्या तुम्हें भी याद हैं?
आसमान गहरा नीला था
पेडों पर पत्ते काँप रहे थे
क्या सुबह को भी याद हैं वे दिन
जब सपने उतरे थे
हमने ढेर सारी बचकानी बातें कीं थीं
और खूब हंसे थे
उजली धरती की वह शामें
आकाश का वह आँगन
वक्त का वह एक एक लम्हा
गर्मी की वह दुपहर
दोस्ती के पल
क्या तुम्हें भी याद हैं?
बहुत सुन्दर !!
ReplyDelete