सागर तट पर रेत में उसे
लकीरें खींचती
नन्हीं
नहीं जानती......
उमडेगा
सागर!
लहरें
उचकती कूदती
मिटाती जाती हैं
रेत का घर बनाती
लकीरें खींचती
नन्हीं
नहीं जानती......
उमडेगा
सागर!
लहरें
उचकती कूदती
मिटाती जाती हैं
रेत का घर बनाती
तुम मुस्कुराती हो...
तुम्हारी मुस्कुराहट पर
इठ्लाता है सागर
तुम्हारी मुस्कुराहट पर उमड आता है
एक संगीत का समाँ बँध जाता है....
सूरज निकलता है
एक नन्हीं तख्ती के सहारे
वि्स्तीर्ण समन्दर में
खेलते हैं...........
नन्हे मचुआरे
लाल सूरज की दमकती
रोशनी में ...
खुशी से दमकती ....
....तुम.....
सदा
अपराजित रहना !!!
तुम्हारी मुस्कुराहट पर
इठ्लाता है सागर
तुम्हारी मुस्कुराहट पर उमड आता है
एक संगीत का समाँ बँध जाता है....
सूरज निकलता है
एक नन्हीं तख्ती के सहारे
वि्स्तीर्ण समन्दर में
खेलते हैं...........
नन्हे मचुआरे
लाल सूरज की दमकती
रोशनी में ...
खुशी से दमकती ....
....तुम.....
सदा
अपराजित रहना !!!
Prabhat Upreti यही तो कमाल है भाव ही प्रकृित है
ReplyDeleteVivek Tiwari Beghar sunder!
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