Sunday, March 3, 2013

                         मेरी अभिलाषा
                                                                                     अस्मिता पाठक
    मैं छठी कक्षा की एक बालिका हूँ। मेरे मन में अपने जीवन लक्ष्य के बारे में कई विचार आते हैं। जैसे कि डॉक्टर बनना या फिर टीचर , कवियित्री या फिर गायक बनने की इच्छा होती है। अंत में मेरे मन में एक ही विचार आता है, जासूस बनने का।
     शहर के कई केस खत्म करने में काफी मजा आता होगा। अगर मैं एक जासूस होती तो मुझे काफी खुशी होती। मैं हर तरह के केस खत्म करने का कार्य करती। कहीं से जानकारी लानी होती या फिर किसी चोर को पकड़ना होता उसमें मुझे काफी मजा आता।
      एक जासूस का काम काफी खतरनाक होता है। कई बार तो अपहरण का केस भी आता है। तब बहुत सावधानी से काम लेना होता है।
    एक और बात, मैं जासूस तो बनूंगी, लेकिन टोक्यो पोलीस स्टेशन की। ऐसे कई शातिर चोर होते हैं। कई बार तो यह सभी सेफ तोड़ने के नये. नये तरीके ढूँढ लेते हैं। इन सभी को पकड़ना बहुत मुश्किल होता है। जहाँ तक मुझे इस बारे में लगता है, तो अगर आप अपना मन.पसंद काम चुनें तो काम काम नहीं खेल लगता है।
   इसलिए हमें जो अच्छा लगता है, वही हमें बनना चाहिये। किसी के दबाव में आकर इंजीनियर या फिर कुछ और, जो आप नहीं बनना चाहते वह बनने की जरूरत नहीं है।
   वैसे कई बार तो हमें बिल्कुल चोरों की तरह सोचना पड़ता है, उन्हें पकड़ने के लिए। लेकिन मेरी इच्छा तो यही ह कि मैं एक जासूस बनूँ और मेरे माता.पिता इसमें मेरा पूरा साथ देंगे।

No comments:

Post a Comment