Monday, January 1, 2018

नये साल की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ!

नये साल ऐसा लिख साथी!
नफरत हो जाए चींटी,
और प्रेम बन जाए हाथी.

भूखे पेट पा जाएँ रोटी ,
और रुदन बन जाए मोती.

नेतागण करलें जनसेवा
जनता भी पा ले कछु  मेवा.

सर्दी में न काँपें थर-थर,
गर्मी में भी घर-घर हों घर.

कामचोर कर्मठ बन जाएँ,
मेहनत की रोटी वे खाएँ. 

ढोंगी, शोषक ,ठग औ हिंसक भाव न कोई पा  जाए,
सीधी -सरल राह हो अपनी ,छल न कोई कर  पाए.

अल्लाह, राम औ यीशु में भी भेद न कोई रह पाये.
बच्चे खेले ख़ुशियों में औ धरती  हरी -भरी मुस्काये .

नये बरस ऐसा लिख साथी, वन-वन को जीवन मिल जाए
उछलें कूदें जंगल वासी,  हम मन से मानव बन जाए.

नये साल ऐसा लिख साथी!
नफरत बन भागे चूहा
और प्रेम बन जाए हाथी.

कल्पना

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