उन आँखों में
एक दरिया हैआश्व्स्त करता है
हमेशा
व्यथा और
अन्तहीन लडाईयों
के रेगिस्तानी सिलसिलों
के बीच
चंद लम्हे ऐसे भी हैं
जिनमें
जीवन की नदी
बहती है
अपने किनारों
पर लिये हुए
कई खरपतवारों
काई सेवारों के
लाव लश्कर
पर खुद ही सह्ती है
रेत और रेत का विस्तार
जिनको छूती है
ओएसिस ही देती है।
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