Tuesday, October 9, 2012

तुमसे दूरी

मेरी बेटी
तुम इस समय मुझसे दूर हो
यहाँ सब सूना है
घर का हर कोना जो तुमसे महकता है
उदास और बे रौनक है
पर यदि तुमहरे होंठों पर
मुसकान के एक रेखा भी है
तो सब कुछ महकेगा
हम मिलकर फिर से जिंदगी मैं
रंग भर लेंगे
पूरब से चलकर आने वाली हवा से कहना
वह सब ओर खुशियाँ बिखेर दे
सागर की लहरों से कहना
तूफ़ानों को रोक दें
ताकि कश्तिय! किनारे पर आसानी से पहुँच सकें
और मच्छुआरे अपने बच्चो तक सुरक्षित पहुँच सकें
चाँद से कहना चमकता रहे ताकि बच्चे अपनी मन से उसको पाने की ज़िद करते रहें
जैसे कभी तुम किया करती थी या
तुम्हारा छोटा भाई चाँद का पूरा रहस्य पूछता है
तुम जिंदगी से कहो मुस्कुराती रहे
हँसती रहे
फिर तुम मेरे पास होगी
और हम फिर नयी दुनिया बसाएँगे

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