Wednesday, January 24, 2018

बसंत

मैंने नहीं लिखा बसंत
पर जिया
काश!
सब
पायें
जी जाएँ बसंत!
न तेरा न मेरा
गली-गली
आँगन -आँगन
कुहुके बसंत
बच्चे मुस्कायें
खिल जाएँ
रोटी
पानी
भी लाए
बसंत!
अब ऐसा हंसता बसता आए
बसंत

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