कल रात खाना बनाते बनाते अचानक पता चला कि घर में नमक खतम हो चुका है तो साहेबान हमने मोहल्ले की दुकान का रुख किया वहाँ ्भी नमक का पता न मिला. हमनेमुख्य सडक पार करना प्रारम्भ किया ही था कि जंगल की ओर से आते एक विशालकाय गजराज से हमारा आमना सामना हो गया . क्षण भर में त्रैलोक्य दर्शन हो गये बच्चों की शक्ल आँखों में घूम गयी .खैर गजराज जी ने हमें ज्यादा भाव नहीं दिया वे अपनी ही धुन में थे और हम सही सलामत लौट आए. गज्रराज जी का धन्यवाद कि इसके बावजूद कि हम इंसानों ने उनके घरों में घुसपैठ की हुई है उन्होंने हमें बख्श दिया. पर घर आकर इतना जरूर लगा कि काश! रोज रात को अचानक हमें कुछ समान लेने जाना पड जाये!.......
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