Wednesday, January 25, 2012

1 दिसम्बर 2011

कल रात खाना बनाते बनाते अचानक पता चला कि घर में नमक खतम हो चुका है तो साहेबान हमने मोहल्ले की दुकान का रुख किया वहाँ ्भी नमक का पता न मिला. हमनेमुख्य सडक पार करना प्रारम्भ किया ही था कि जंगल की ओर से आते एक विशालकाय गजराज से हमारा आमना सामना हो गया . क्षण भर में त्रैलोक्य दर्शन हो गये बच्चों की शक्ल आँखों में घूम गयी .खैर गजराज जी ने हमें ज्यादा भाव नहीं दिया वे अपनी ही धुन में थे और हम सही सलामत लौट आए. गज्रराज जी का धन्यवाद कि इसके बावजूद कि हम इंसानों ने उनके घरों में घुसपैठ की हुई है उन्होंने हमें बख्श दिया. पर घर आकर इतना जरूर लगा कि काश! रोज रात को अचानक हमें कुछ समान लेने जाना पड जाये!.......

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