Tuesday, May 15, 2012

और हम फिर नयी दुनिया बसाएँगे

.मेरी बेटी
तुम इस समय मुझसे दूर हो
यहाँ सब सूना है
घर का हर कोना जो तुमसे महकता है
उदास और बे रौनक है
पर यदि तुम्हारे होंठों पर
मुसकान की एक रेखा भी है
तो सब कुछ महकेगा
हम मिलकर फिर से जिंदगी में
... रंग भर लेंगे
... पूरब से चलकर आने वाली हवा से कहना
वह सब ओर खुशियाँ बिखेर दे
सागर की लहरों से कहना
तूफ़ानों को रोक दें
ताकि कश्तिय! किनारे पर आसानी से पहुँच सकें
और मछुआरे अपने बच्चो तक सुरक्षित पहुँच सकें
चाँद से कहना चमकता रहे..

 ताकि बच्चे अपनी माँ से उसको पाने की ज़िद करते रहें
जैसे कभी तुम किया करती थी या
तुम्हारा छोटा भाई चाँद का पूरा रहस्य पूछता है
तुम जिंदगी से कहो मुस्कुराती रहे
हँसती रहे
फिर तुम मेरे पास होगी
और हम फिर नयी दुनिया बसाएँगे

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