उथल-पुथल कर हृदय-
मचा हलचल-
चल रे चल-
मेरे पागल बादल!
Monday, June 3, 2013
इस बारि्श में
इस बारि्श में जब तुम अपने काम पर झुके हुए सूफी संगीत सुन रहे हो तब बरसती बारिश मे मैं अपनी नींद मीठी नीम के नीचे रख आयी हूँ ठीक उन दिनों के उस बरसते दिन की तरह लम्हा-लम्हा बहती शिलाओं से टकराती जाती जिंदगी आओ! इस संगीत के साथ कुछ देर बैठें बारिश में
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