Monday, June 3, 2013

इस बारि्श में





इस बारि्श में
  जब तुम अपने काम पर झुके हुए सूफी संगीत सुन रहे हो
तब बरसती बारिश मे
मैं अपनी नींद
मीठी नीम के नीचे रख आयी हूँ
ठीक उन दिनों के उस बरसते दिन की तरह
लम्हा-लम्हा बहती
शिलाओं से टकराती जाती जिंदगी
आओ!
इस संगीत के साथ
कुछ देर बैठें
बारिश में

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