Wednesday, January 25, 2012

उम्मीद!

आज मेरा छोटा सा बेटा मेरा हाथ पकड कर मुझे अपने साथ एक जगह ले गया ्घर के पीछे की पहाडी से नीचे उतरते हुए उसने मुझसे कहा माँ आपको पता है मैं आपको अपनी बनाई दुनिया में ले ्जा रहा हूँ  उबड -खाबड सीढियों से नीचे उतरते हुए हम एक जगह पहुँचे वहाँ छोटे- छोटे फूल खिले थे और उनके चारों ओर बच्चों ने कतारें बना रखी थीं पूछने पर मेरे बेटे ने बताया कि इन कतारों में वह और उसके दोस्त पानी भरते हैं ताकि फूल प्यासे न रह जाएँ ! ये चेतना तुम्हारे भीतर जिन्दा रहे मेरे बेटे! शायद हमसे पहले की और हमारी पीढी जो खत्म कर रही है उसे तुम बचा सको!

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